Thursday, May 10, 2012

तू मर कर भी जी रही?


तारे जब तोड़ना हो तो तकदीर पर रोता हूँ
तन्हाई को छोडना तो तेरे तस्वीर पर सोता हूँ
उन्मीद, जब हिल्जती तो उम्र थाम ले लेता हूँ
जाना कहा सोच कर, जान लेवा जी जाता हूँ!

वोह नहीं, मगर याद सही
बचे जिंदगी काफी रही!
आखिर कबतक ये आहट?
केवल, साथ दे ये संकट!

गुमसुम गुमसुम गुन्गुराना
मासूम मासूम दिल छुपाना
तारीफ नहीं तड़प तड़प का
साजिश  कही  कसम हुस्न का 

तसल्ली  दे तो किस बात का?
बे रहम रेशम हर रात का!
मै जीवित हूँ पर  मर चुका,
तू मर कर भी जी रही?